मेरी उंगली पकड़ो,
तो ध्यान से पकड़ना,
सारी एक-सी नहीं हैं,
तुम्हें पक्का पता होना चाहिए
कि सही उंगली कौन-सी है.
कोई उंगली ऐसी है,
जो सही रास्ते पर ले चलेगी तुम्हें,
पहुंचा देगी तुम्हें तुम्हारी मंज़िल तक,
कोई ऐसी भी है,
जो छोड़ देगी तुम्हें
घने जंगल या गहरे समंदर में.
कोई उंगली तुम्हें
उस वक़्त अंगूठा दिखा देगी,
जब तुम्हें सख़्त ज़रूरत होगी
किसी सहारे की.
मेरी दस उंगलियां हैं,
कभी कोई उंगली पकड़ो,
तो सही उंगली पकड़ना,
आंख मूंदकर कभी
कोई उंगली मत पकड़ना.
गहनता लिए चिन्तनपरक सृजन
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 एप्रिल 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुन्दर रचना एवं सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह। बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति।
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