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शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

६८०.उँगलियाँ

 


मेरे बालों में धीरे-धीरे 

टहल रही हैं कुछ उँगलियाँ,

अच्छी लगती हैं 

नर्म-नाज़ुक,जानी-पहचानी उँगलियाँ. 

मैं उनसे कहता हूँ,

ज़रा देर तक टहलो,

अच्छा होता है सेहत के लिए 

लम्बा टहलना. 

***

अब वे उँगलियाँ 

पहले-सी नर्म-नाज़ुक नहीं रहीं,

मेरे बाल भी घने नहीं रहे,

मगर अच्छी लगती हैं,

जब वे घूमती हैं

मेरे कम होते बालों में,

उँगलियों को भी अच्छा लगता है,

मेरे बालों में टहलना. 

***

अब नहीं रहीं वे उँगलियाँ,

जो अधिकार से टहला करती थीं

मेरे घने काले बालों में,

अच्छा ही हुआ 

कि अब वे बाल भी नहीं रहे. 


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