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शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

६६७.रोटियाँ

 


वैसे तो रोटी का आकार 

कुछ भी हो सकता है,

पर भूखे लोगों को भाती हैं 

गोल-गोल रोटियाँ. 

रोटी गोल होती है,

तो भ्रम पैदा होता है 

कि उसका कोई छोर नहीं है. 

**

जिस तरह पी सकता है एक साथ

ऊँट कई दिनों का पानी,

काश कि खा पाता इंसान 

कई दिनों की रोटियाँ

और हो जाता मुक्त 

रोज़-रोज़ के झंझट से. 

**

गोल होती है रोटी 

पृथ्वी की तरह,

पर बेहतर होती है पृथ्वी से,

उसे खाया जा सकता है,

वह घूमती भी नहीं है.

10 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (2-10-22} को "गाँधी जी का देश"(चर्चा-अंक-4570) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. काश कि खा पाता इंसान

    कई दिनों की रोटियाँ

    पेट का मर्म जानकर ,दिल को छूती पंक्तियां

    जय माता दी !

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना सोमवार 3 , अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही शानदार, भाव प्रवण सृजन।

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  5. सच में कोई छोर नहीं... रोटी का।

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