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रविवार, 10 जुलाई 2022

६५७.सपना


कभी-कभी मैं सोचता हूँ 

कि क्या सपना वही होता है,

जो हमें लगता है कि सपना है? 


हम जब सपना देखते हैं,

तो कहाँ पता होता है हमें 

कि जो हम देख रहे हैं,

हक़ीक़त नहीं, एक सपना है? 


सोते हुए हम जो देखते हैं,

उसे देखना कैसे कह सकते हैं?

वह तो अनुभव करना है,

दुखी होना है, ख़ुश होना है. 


कभी-कभी मैं सोचता हूँ 

कि जिसे हम जीवन समझते हैं, 

कोई लम्बा सपना तो नहीं?

जिसे हम मरना कहते हैं,

किसी लम्बे सपने का टूटना तो नहीं?



कभी-कभी मैं सोचता हूँ 

कि जीवन अगर सपना है,

तो सपना क्या है?

क्या नींद के अंदर भी कोई नींद है?

क्या सपने के अंदर भी कोई सपना है?


8 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन एक स्वप्न और स्वप्न स्वप्न में एक और स्वप्न... वाह!बहुत गहरी रचना।
    सराहनीय सृजन।
    सादर

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  2. सपना क्या? एक कल्पना ,अवास्तविक अनुभव-लेकिनअनुभव है तो अवास्तविक कैसे?
    बड़ी मुश्किल है ,समाधान कहाँ !
    सचमुच, प्रश्न ही प्रश्न हैं -

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  3. जिसे हम जीवन समझते हैं,
    कोई लम्बा सपना तो नहीं?
    जिसे हम मरना कहते हैं,
    किसी लम्बे सपने का
    टूट जाना तो नहीं?
    गहनता लिए सुन्दर सृजन ।

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  4. दिन में भी कई विचार अनवरत भीतर चलते रहते हैं, जिन पर हम ध्यान नहीं देते, रात को कुछ विचार सपने में बदल जाते हैं। दिवा स्वप्न भी देखते हैं कुछ लोग। सही कहा है आपने मृत्यु के क्षण में अवश्य ऐसा लगता होगा कि एक सपना टूट गया !

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  5. किसी लम्बे सपने का
    टूट जाना तो नहीं?
    ......सुन्दर सृजन ।

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  6. सही में, यह जीवन एक ऐसा सपना है जिसमें जीवन है।

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  7. सही में, यह जीवन एक ऐसा सपना है जिसमें जीवन है।

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