शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

६५५. तस्वीर

 



मैंने तुम्हारी तस्वीर देखी है,

तुम्हें नहीं देखा,

तुम्हारी तस्वीर को चिपकाया है, 

तुम्हें नहीं,

तुम्हारी तस्वीर से बातें की हैं,

तुमसे नहीं. 


बहुत मज़े से गुज़री है ज़िन्दगी 

तुम्हारी तस्वीर के साथ,

अब तुम न ही मिलो, तो बेहतर है.   



10 टिप्‍पणियां:

  1. खुशनुमा ज़िन्दगी के लिए शायद यही बेहतर है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  3. ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू यह भी …, बहुत सुन्दर सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सीपी में मोती ! बात कह दी ! वाह !

    जवाब देंहटाएं
  5. संकेत में बहुत सुंदर बात ।सराहनीय रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  6. दिल की बात बड़ी साफगोई से कह दी ,वाह सराहनीय सृजन !!

    जवाब देंहटाएं
  7. वाक़ई, मंदिर वाले भगवान के साथ जीवन ख़ुशी ख़ुशी बीत ही जाता है, असली से मिलने की ज़रूरत किसे है

    जवाब देंहटाएं