मैंने तुम्हारी तस्वीर देखी है,
तुम्हें नहीं देखा,
तुम्हारी तस्वीर को चिपकाया है,
तुम्हें नहीं,
तुम्हारी तस्वीर से बातें की हैं,
तुमसे नहीं.
बहुत मज़े से गुज़री है ज़िन्दगी
तुम्हारी तस्वीर के साथ,
अब तुम न ही मिलो, तो बेहतर है.
खुशनुमा ज़िन्दगी के लिए शायद यही बेहतर है ।
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। ------------ कामिनी सिन्हा
सुंदर
ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू यह भी …, बहुत सुन्दर सृजन ।
सीपी में मोती ! बात कह दी ! वाह !
संकेत में बहुत सुंदर बात ।सराहनीय रचना ।
दिल की बात बड़ी साफगोई से कह दी ,वाह सराहनीय सृजन !!
वाह! बहुत सुंदर सर 👌
वाक़ई, मंदिर वाले भगवान के साथ जीवन ख़ुशी ख़ुशी बीत ही जाता है, असली से मिलने की ज़रूरत किसे है
सुन्दर सृजन।
खुशनुमा ज़िन्दगी के लिए शायद यही बेहतर है ।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
सुंदर
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू यह भी …, बहुत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंसीपी में मोती ! बात कह दी ! वाह !
जवाब देंहटाएंसंकेत में बहुत सुंदर बात ।सराहनीय रचना ।
जवाब देंहटाएंदिल की बात बड़ी साफगोई से कह दी ,वाह सराहनीय सृजन !!
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर सर 👌
जवाब देंहटाएंवाक़ई, मंदिर वाले भगवान के साथ जीवन ख़ुशी ख़ुशी बीत ही जाता है, असली से मिलने की ज़रूरत किसे है
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
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