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शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

६५५. तस्वीर

 



मैंने तुम्हारी तस्वीर देखी है,

तुम्हें नहीं देखा,

तुम्हारी तस्वीर को चिपकाया है, 

तुम्हें नहीं,

तुम्हारी तस्वीर से बातें की हैं,

तुमसे नहीं. 


बहुत मज़े से गुज़री है ज़िन्दगी 

तुम्हारी तस्वीर के साथ,

अब तुम न ही मिलो, तो बेहतर है.   



8 टिप्‍पणियां:

  1. खुशनुमा ज़िन्दगी के लिए शायद यही बेहतर है ।

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  2. ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू यह भी …, बहुत सुन्दर सृजन ।

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  3. सीपी में मोती ! बात कह दी ! वाह !

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  4. संकेत में बहुत सुंदर बात ।सराहनीय रचना ।

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  5. दिल की बात बड़ी साफगोई से कह दी ,वाह सराहनीय सृजन !!

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  6. वाक़ई, मंदिर वाले भगवान के साथ जीवन ख़ुशी ख़ुशी बीत ही जाता है, असली से मिलने की ज़रूरत किसे है

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