मुझे लगता है
कि हर घर में
एक खूँटी होनी चाहिए,
ख़ासकर हर उस घर में,
जहाँ कोई बड़ा-बूढ़ा रहता है,
जिसके लिए न कमरों में जगह है,
न आँगन में, न बालकनी में.
उसे भी जगह मिलनी चाहिए,
किसी खूँटी पर ही सही,
जहाँ उसे लटकाया जा सके,
जब तक कि वह मर न जाए.
बहुत मार्मिक
मन भीग गया आपकी रचना को पढ़ कर ।
सच में। बहुत पीड़ा देने वाली रचना।
ओह! मन काँप गया. पर सच यही है. एक खूँटी भी मिल जाए अपने ही घर में जो अब उसका न रहा, यह बड़ी बात होगी.
सच इस लघु कविता का मर्म बेहद विस्तृत है ।आज के परिवेश पर कुठाराघात करती सार्थक रचना।
बहुत मार्मिक
जवाब देंहटाएंमन भीग गया आपकी रचना को पढ़ कर ।
जवाब देंहटाएंसच में। बहुत पीड़ा देने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंओह! मन काँप गया. पर सच यही है. एक खूँटी भी मिल जाए अपने ही घर में जो अब उसका न रहा, यह बड़ी बात होगी.
जवाब देंहटाएंसच इस लघु कविता का मर्म बेहद विस्तृत है ।
जवाब देंहटाएंआज के परिवेश पर कुठाराघात करती सार्थक रचना।