मेरी साइकिल की
नई-नई ट्यूब में
पंक्चर क्या हुआ,
सब मान बैठे
कि ट्यूब कमज़ोर है.
कभी-कभी ट्यूब
बहुत मज़बूत होती है,
पर घुस जाती है उसमें
कोई नुकीली चीज़ अचानक.
कभी-कभी जानबूझकर भी
घुसा दी जाती है
ट्यूब में कोई कील
या निकाल दी जाती है हवा
ताकि वह चल न सके.
हमेशा यह मानना
सही नहीं होता
कि पंक्चर होने का कारण
कमज़ोर होना ही होता है.
वाह! सही दृष्टि!!! इस जीवन की की भी कुछ ऐसी ही गाथा है।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०७-०५-२०२२ ) को
'सूरज के तेवर कड़े'(चर्चा अंक-४४२२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
“पंचर” के माध्यम से जीवन दर्शन को बहुत ख़ूबसूरती से बयान लाजवाब रचना ।
जवाब देंहटाएंभाई जी वाह वाह!क्या बात है👍👍👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह ।
जवाब देंहटाएंकितना सटीक जीवन संदर्भ ।
अद्भुत दृष्टिकोण ।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
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