पिता की मौत के अरसे बाद
मायके आना हुआ बहन का,
किसी ने उसे बुलाया ही नहीं
कि कहीं हिस्सा न मांग ले.
अपने साथ लेकर आई
कपड़े,चॉकलेट, मिठाई, मेवे
और न जाने क्या-क्या,
हंस-हंस कर बांटती रही
सुबह से शाम तक सब में.
अगली सुबह लौट गई,
बिन बुलाई मेहमान जो थी,
गाड़ी में चढ़ते समय बोली,
इतना मत डरो मुझसे,
नहीं चाहिए मुझे कोई हिस्सा,
हाँ, कभी कोई ज़रूरत हो,
तो मुझे बता देना,
याद रखना,
तुम्हारी बहन हूँ मैं,
मुझे पराया मत समझना.
वाह!मार्मिक
जवाब देंहटाएंइस रिश्ते के कटु यथार्थ पर सराहनीय दृष्टिकोण।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना,पर कटु सत्य लिखी है बात,आदरणीय शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना प्रस्तुति
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