कविताएँ
बुधवार, 27 अगस्त 2025
819.पासवर्ड
बुधवार, 13 अगस्त 2025
818. ईश्वर से
ईश्वर,
मुझे वह सब मत देना,
जो मैं मांग रहा हूँ,
दे दोगे, तो और माँगूँगा,
हो सकता है कि अगर तुम
मांगा हुआ सब कुछ दे दो,
तो मुझे कुछ ऐसा मिल जाए,
जो मेरे लिए बेकार,
किसी और के लिए ज़रूरी हो।
ईश्वर,
अपने विवेक का इस्तेमाल करना,
अपनी स्तुति पर मत रीझना,
प्रार्थना से मत पिघलना,
ज़रूरत से थोड़ा कम देना,
बस उतना ही
कि मैं छीन न सकूँ
किसी और का हक़,
बना रहूँ मनुष्य।
बुधवार, 6 अगस्त 2025
शुक्रवार, 25 जुलाई 2025
817. पासवर्ड और कविता
मेरा पासवर्ड मेरी कविता की तरह है,
मैं नहीं जानता उसका अर्थ,
न ही वह मुझे याद रहता है।
मेरे पासवर्ड में न लय है,
न कोई मीटर,
मैं तो यह भी नहीं जानता
कि उसकी भाषा क्या है,
भाषा है भी या नहीं।
फिर भी मैं जानता हूँ
कि मेरे पासवर्ड में
कुछ खोज ही लेंगे लोग,
जैसे मेरे लिखे में
कविता ढूँढ़ लेते हैं
मेरे पाठक।
मंगलवार, 22 जुलाई 2025
816. पासवर्ड
फ़ाइल बाद में बना लेंगे,
पहले पासवर्ड बनाते हैं,
छिपाने का इंतज़ाम करते हैं,
बाद में तय करेंगे
कि छिपाना क्या है।
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याद रखना पासवर्ड,
बस तीन मौक़े मिलेंगे,
कोई ज़िंदगी नहीं है
कि बार-बार ग़लती करो
और रास्ता खुला रहे।