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बुधवार, 16 जुलाई 2025

815. आइसक्रीम




आइसक्रीम वाला आता था,

तो आ जाते थे

मोहल्ले के सारे बच्चे,

यह उन दिनों की बात है,

जब फ़्रिज़ नहीं होते थे घरों में,

जब नहीं होती थी आइसक्रीम

सिर्फ़ आइसक्रीम.

++

वह बच्चा, जो रोज़ बेचता है

मोहल्ले में आइसक्रीम ,

अक्सर सोचता है,

अगर वह बेचनेवाला नहीं,

ख़रीदनेवाला होता,

तो वह भी खा सकता था

कभी-कभार कोई आइसक्रीम।

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. हम लोगों के लिए तो पाँच रुपये की आइसक्रीम ही सबसे बड़ी आइसक्रीम होती थी आइसक्रीम वाले की आवाज सुनकर ही मुहँ में पानी आ जाता था , दूसरी तरफ कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो पाँच - पाँच रुपये कमाने और रोजी की जुगत के लिए अपनी इच्छा को दबा कम उम्र में ही बड़े हो जाया करते थे ।

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  2. बहुत सुंदर चिंतन परक सृजन ।

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  3. भावपूर्ण अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    --------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ जुलाई २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. आपकी लिखी यह रचना पाँच लिंक में प्रकाशित की गयी है सर ,कृपया आमंत्रण अपने पेज के कमेंट वाले भाग मे देखे स्पैम में होगी।
    सादर।

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  5. बालमन को टटोलती शानदार अभ‍िव्यक्त‍ि

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  6. सुंदर सृजन, आइसक्रीम तब कुछ और भी होती थी, केवलआइसक्रीम नहीं !!
    जो नहीं खा पाते शायद उनके लिए भीआइसक्रीम केवलआइसक्रीम नहीं होती, एक उम्मीद भी होती है

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. सही कहा ..
    जो नहीं मन बस उसे चाहता है..
    सुंदर सृजन ।

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