आइसक्रीम वाला आता था,
तो आ जाते थे
मोहल्ले के सारे बच्चे,
यह उन दिनों की बात है,
जब फ़्रिज़ नहीं होते थे घरों में,
जब नहीं होती थी आइसक्रीम
सिर्फ़ आइसक्रीम.
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वह बच्चा, जो रोज़ बेचता है
मोहल्ले में आइसक्रीम ,
अक्सर सोचता है,
अगर वह बेचनेवाला नहीं,
ख़रीदनेवाला होता,
तो वह भी खा सकता था
कभी-कभार कोई आइसक्रीम।
हम लोगों के लिए तो पाँच रुपये की आइसक्रीम ही सबसे बड़ी आइसक्रीम होती थी आइसक्रीम वाले की आवाज सुनकर ही मुहँ में पानी आ जाता था , दूसरी तरफ कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो पाँच - पाँच रुपये कमाने और रोजी की जुगत के लिए अपनी इच्छा को दबा कम उम्र में ही बड़े हो जाया करते थे ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चिंतन परक सृजन ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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