top hindi blogs

बुधवार, 30 अप्रैल 2025

804. पाक-कला और प्रेम

 


नहीं आता मुझे खाना बनाना,

तुमने सिखाया ही नहीं, 

पर आज मन है कि मैं बनाऊँ,

तुम मुझे बनाते हुए देखो। 


पूछूंगा नहीं कि क्या मसाले डालने हैं,

कितने-कितने डालने हैं,

नमक कितना, हल्दी कितनी, जीरा कितना,

यह भी नहीं पूछूंगा, कब तक पकाना है। 


तुम मेरे अनाड़ीपन पर खिलखिलाना, 

मैं मुस्कुराऊंगा तुम्हारी खिलखिलाहट पर, 

कुछ तो असर होगा इसका खाने पर, 

बेकार नहीं जाती कभी इतनी मुस्कुराहट। 


मुमकिन है कि ठीक न बने खाना, 

शायद पूरी तरह न पके, 

मसाले भी कम हो सकते हैं, 

पर मैं जानता हूँ, अच्छा लगेगा हमें, 

पाक-कला पर भारी ही होता है प्रेम। 


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 04 मई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रेम भारी होता है चट्टान से और हल्का कर देता है फूल सा

    जवाब देंहटाएं
  3. सही कहा...प्रेम शब्द ही सबसे भारी है !

    जवाब देंहटाएं