मेरे बालों में धीरे-धीरे
टहल रही हैं कुछ उँगलियाँ,
अच्छी लगती हैं
ये जानी-पहचानी उँगलियाँ.
मैं इनसे कहता हूँ,
ज़रा देर तक टहलो,
अच्छा होता है सेहत के लिए
लम्बा टहलना.
++
अब वे उँगलियाँ
नर्म-नाज़ुक नहीं रहीं,
न ही मेरे बाल घने रहे,
मगर अच्छी लगती हैं,
जब वे घूमती हैं
मेरे कम होते बालों में,
उँगलियों को भी पसंद है,
मेरे बालों में टहलना.
++
अब नहीं रहीं वे उँगलियाँ,
जो अधिकार से टहला करती थीं
मेरे घने बालों में,
अच्छा ही हुआ
कि अब वे बाल भी नहीं रहे.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 17 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंभावुक करती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबाल भले ना रहे, पर एहसास तो सदा रहते।
उफ़!! ये कितना सुंदर था, उं उंगलियों के चले जाने से पहले!
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