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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

796. उँगलियाँ

 


मेरे बालों में धीरे-धीरे 

टहल रही हैं कुछ उँगलियाँ,

अच्छी लगती हैं 

ये जानी-पहचानी उँगलियाँ. 

मैं इनसे कहता हूँ,

ज़रा देर तक टहलो,

अच्छा होता है सेहत के लिए 

लम्बा टहलना. 

++

अब वे उँगलियाँ 

नर्म-नाज़ुक नहीं रहीं,

न ही मेरे बाल घने रहे,

मगर अच्छी लगती हैं,

जब वे घूमती हैं

मेरे कम होते बालों में,

उँगलियों को भी पसंद है,

मेरे बालों में टहलना. 

++

अब नहीं रहीं वे उँगलियाँ,

जो अधिकार से टहला करती थीं

मेरे घने बालों में,

अच्छा ही हुआ 

कि अब वे बाल भी नहीं रहे. 


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 17 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. भावुक करती सुंदर रचना।
    बाल भले ना रहे, पर एहसास तो सदा रहते।

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  3. उफ़!! ये कितना सुंदर था, उं उंगलियों के चले जाने से पहले!

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