लड़कियों,
जितना आसमान तुम्हें दिखता है,
आसमान उतना ही नहीं है,
जितना दूर तुम्हें दिखता है,
उतना दूर भी नहीं है।
तुम्हें बहलाने के लिए हमने
एक रोशनदान खोल रखा है,
पर खिड़कियाँ अभी बंद हैं,
दरवाज़ों पर अभी ताले जड़े हैं।
तुम्हें मिलती है ज़रा-सी हवा,
दिखता है थोड़ा-सा आसमान,
तुम पूरी साँस लेकर तो देखो,
बाहर निकलकर आसमान तो देखो।
कोई भी नहीं आएगा कहीं से,
तुम्हें ही खोलनी होंगी खिड़कियाँ,
तोड़ने होंगे ताले,
बाहर आना होगा ख़ुद ही,
फैलाने होंगे पंख
और उड़ना होगा आसमान में।
अति सुन्दर सृजन ।
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 जुलाई 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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वाक़ई हरेक को ख़ुद ही तोड़नी होती हैं अदृश्य ज़ंजीरें और मुक्ति का स्वाद चखना होता है
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने... बहुत सुंदर सृजन।
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