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शनिवार, 28 दिसंबर 2019

३९३.घर

Home, House, Silhouette, Icon, Building

मुझे लगता है 
कि जब मैं घर पर नहीं होता,
मेरे घर की दीवारें 
आपस में ख़ूब बातें करती हैं.

खिड़कियाँ,रोशनदान,
सब शामिल हो जाते हैं गप्पों में,
दरवाज़े भी हँसने लगते हैं.

मैं जब घर पर रहता हूँ,
तो सब चुप रहते हैं,
उतरे हुए होते हैं उनके चेहरे,
सब मेरे जाने का इंतज़ार करते हैं.

मुझे अच्छा नहीं लगता,
उन्हें दुखी देखना,
अक्सर मैं सोचता हूँ 
कि अबकी बार निकलूँ ,
तो वापस घर न लौटूं.

9 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (30-12-2019) को 'ढीठ बन नागफनी जी उठी!' चर्चा अंक 3565 पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं…
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  2. VERRY NICE POS AND BLIG https://keedabankingnews.com/rapidrupee-se-loan-kaise-le/

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