नया जूता थोड़ा-बहुत काटता है,
पर लगातार पहनते रहो,
तो ठीक हो जाता है,
छोड़ दो, तो और अकड़ जाता है.
कुछ जूते बहुत ज़िद्दी होते हैं,
कई दिनों तक काटना नहीं छोड़ते,
पर आखिर में ठीक हो जाते हैं,
बस थोड़ी तकलीफ़ सहना,
थोड़ा सब्र करना पड़ता है.
कुछ लोग भी जूतों की तरह होते हैं,
काटने से बाज नहीं आते,
उनसे वैसे ही निपटना पड़ता है,
जैसे जूतों से निपटा जाता है.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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