आज बहुत तेज़ बरसा पानी,
धूल-सने पत्ते जमकर नहाए,
गहरी भीग गईं सूखी डालियाँ.
तृप्त हो गईं प्यासी जड़ें,
कलियों ने चुपके से मुंह खोल
गटक लिया थोड़ा-सा पानी.
बारिश रुकने के बाद देर तक
फूलों ने पंखुड़ियों पर थामे रखीं
पानी की दस-बीस बूँदें,
जैसे कि प्यास बुझ गई हो,
पर मन अभी भरा नहीं हो.
Wah!
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