जो लोग कहते हैं
कि सारे युद्ध औरतों के कारण हुए,
वे अपराधी हैं मानव जाति के,
जिन्होंने रचा है ऐसा इतिहास,
वे अपराधी हैं झूठ बोलने के।
औरतों ने नहीं कराए युद्ध,
युद्ध कराए हैं पुरुषों की वासना ने,
उनकी महत्वाकांक्षा ने,
युद्ध कराए हैं उनकी क्रूरता ने।
औरतों ने तो बस बलिदान दिया है,
हर युद्ध के अंत में उन्हें मिली है
मौत या मौत से बदतर ज़िंदगी,
युद्ध की बिसात पर मोहरा बनी हैं वे।
कोई औरत से सीखता, तो सीखता प्रेम,
त्याग, करुणा, दूसरों के लिए जीना,
दूर नहीं, आसपास देख लो,
तुम्हें समझ में आ जाएगा
कि औरत नहीं करा सकती युद्ध,
उसके बारे में इतिहास ने फैलाया है
केवल भ्रम और झूठ।
केवल भ्रम और झूठ
जवाब देंहटाएंसादर
वंदन
वाह
जवाब देंहटाएंयुद्ध से वीभत्स कुछ भी नहीं,चाहे कारण कोई भी हो।
जवाब देंहटाएंसराहनीय अभिव्यक्ति सर।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ७ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
चिन्तन परक अभिव्यक्ति । सादर शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंद्रौपदी को महाभारत के युद्ध का कारण मानना भी पूरी तरह गलत है, दुर्योधन बचपन से ही पाण्डवों के ख़िलाफ़ था, द्रौपदी तो बहुत बाद में आयी
जवाब देंहटाएंKitni Sateek Tippani hai!!
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