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मंगलवार, 26 नवंबर 2024

790. परदेसी से

 


आम का वह पौधा,

जो तुमने कभी रोपा था,

अब पेड़ बन गया है,

महकते बौर लगते हैं उसमें,

खट्टी कैरियाँ और मीठे फल भी। 


उसके हरे-हरे पत्ते 

हवाओं में मचलते हैं,

उसकी टहनियों पर बैठकर 

पंछी चहचहाते हैं। 


तुम भी चले आओ इस साल, 

देख लो अपना लगाया पौधा,

नहीं बनाना घोंसला, तो न सही,

थोड़ी देर शाख पर बैठ जाना,

फिर चाहो, तो उड़ जाना। 



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