मुझे अच्छी लगती हैं
हँसती हुई लड़कियाँ,
पर इन दिनों वे
सहमी-सहमी सी हैं,
बाहर पाँव रखने से
कतराती हैं लड़कियाँ,
देर हो जाय लौटने में
तो बढ़ जाती है
उनके क़दमों की रफ़्तार,
हाँफने लगती हैं लड़कियाँ।
किसी पर भरोसा नहीं
इन दिनों उन्हें,
न जाने कौन
टूट पड़े उन पर,
बंद घरों के अंदर भी
डरी-सी रहती हैं लड़कियाँ।
सपने देखती हैं वे,
सपनों में देखती हैं
मुखौटे लगाए चेहरे,
चिथड़े-चिथड़े कपड़े,
मोमबत्तियाँ हाथों में लिए
जुलूस में शामिल लोग।
मुझे अच्छी लगती हैं
हँसती हुईलड़कियाँ,
पर अरसे से नहीं देखी मैंने
कोई हँसती हुई लड़की,
आपने देखी हो,
तो मुझे भी बताइएगा,
मैं मिलना चाहता हूँ
ऐसी साहसी लड़की से।
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