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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024

686. काँटों की कमी



बेटी,

तुम फूल जैसी हो- 

सुंदर, सुगंधित, 

पत्ते जैसी हो-

कोमल, जीवंत, 

जड़ जैसी हो-

गहरी,मज़बूत,

तने जैसी हो-

बोझ उठानेवाली, 

डाली जैसी हो- 

हवा में फैलनेवाली। 


बेटी, 

तुम पूरा पेड़ हो-

जीवंत, छायादार, 

बस कुछ कांटे उग आएँ,

तो तुम सम्पूर्ण हो जाओ। 


1 टिप्पणी:

  1. मानो कह रहे हों शंकर, गौरी ! तुम काली हो जाओ तो सम्पूर्ण हो जाओ

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