बेटी,
तुम फूल जैसी हो-
सुंदर, सुगंधित,
पत्ते जैसी हो-
कोमल, जीवंत,
जड़ जैसी हो-
गहरी,मज़बूत,
तने जैसी हो-
बोझ उठानेवाली,
डाली जैसी हो-
हवा में फैलनेवाली।
तुम पूरा पेड़ हो-
जीवंत, छायादार,
बस कुछ कांटे उग आएँ,
तो तुम सम्पूर्ण हो जाओ।
मानो कह रहे हों शंकर, गौरी ! तुम काली हो जाओ तो सम्पूर्ण हो जाओ
मानो कह रहे हों शंकर, गौरी ! तुम काली हो जाओ तो सम्पूर्ण हो जाओ
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