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शनिवार, 14 सितंबर 2019

३८०.कूड़ा

अगर तुम्हें कहीं चिंगारी मिले,
तो मुझे दे देना,
बहुत सारा कूड़ा फैला है मेरे इर्द-गिर्द,
उसे जमा करना है,
जलाना है उसे.

कुछ धुआं तो निकलेगा,
थोड़ा प्रदूषण भी फैलेगा,
पर कोई दूसरा उपाय नहीं है,
कूड़ा इतना ज़्यादा है 
कि सफ़ाई संभव ही नहीं है. 

जब सब कुछ जल जाएगा,
ज़मीन समतल हो जाएगी,
तो नए तरीक़े से नया निर्माण होगा,
जिसमें न कूड़े के लिए जगह होगी,
न कूड़ा फैलानेवालों के लिए.



2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 15 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. काश यह नौबत न आए ।
    हम से पहले बच्चे संभाल जाएं ।

    दो टूक कविता ।
    अच्छा लगा ।

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