मेरे कमरे की दीवार पर एक घड़ी है,
जो हमेशा चलती ही रहती है,
कोई उसकी ओर देखे या न देखे.
कभी-कभार मुझे ज़रूरत पड़ती है,
तो मैं उसकी ओर देख लेता हूँ,
वह सही समय बता देती है,
फिर मैं उसे भूल जाता हूँ.
रात को उसकी टिक-टिक गूंजती है,
तो अलमारी में रख देता हूँ उसे.
चलते रहनेवालों को क्या मालूम
कि उनके चलने से कभी-कभी
सोनेवालों की नींद में ख़लल पड़ता है.
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02 -06-2019) को "वाकयात कुछ ऐसे " (चर्चा अंक- 3354) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
सही कहा आपने चले वाले को क्या पता रुकना किसी कहते हैं और उनके चलने से किसी और को क्या परशानी होती हैं ,कुछ अलग सा लेकिन अच्छा ,सादर
जवाब देंहटाएंवाह अनुपम सृजन
जवाब देंहटाएंचलने वाले भी कभी तो सोते होंगे और सोने वाले भी कभी तो चलते होंगे...हिसाब बराबर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार जून 01, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता..वाह👌
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह अद्भुत गहराई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंफिर भी घडी है की चलना नहीं छोडती ... जीवन भी ऐसा है कभी आवाज़ तो कभी बे आवाज़ ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
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