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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

३३६.पौधे


अनुशासित से पौधे 
कितने ख़ुश लग रहे हैं 
और कितने सुन्दर !
बहुत मेहनत की है 
माली ने इन पर,
कतरी हैं इनकी 
पत्तियां-टहनियां,
तब जाकर मिला है इन्हें 
इतना सुन्दर रूप.

कोई पौधों से पूछे 
कि क्या सचमुच ख़ुश हैं वे,
कैसा लगता है 
जब बाँध दिया जाता है उन्हें 
एक सीमित दायरे में,
जहाँ से उन्हें 
पत्ता-भर झाँकने की भी 
अनुमति नहीं है. 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (10-12-2018) को "उभरेगी नई तस्वीर " (चर्चा अंक-3181) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  2. वाह! ऊपर के सौन्दर्य के अंतस की कसक और पीड़ा का चित्रण।

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