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शुक्रवार, 6 जून 2025

808.चश्मा

 




मैं बड़ा हुआ,

तो मेरे पाँवों में आने लगे 

पिता के जूते,

मेरी आँखों पर चढ़ गया 

पावरवाला चश्मा,

पर पिता का चश्मा 

मुझे फ़िट नहीं बैठता था 

दोनों के नंबर जो अलग थे। 


कहने को तो हो गया

मैं पिता के बराबर,

पर कभी नहीं देख पाया 

चीज़ों को उस तरह,

जैसे पिता देखते थे। 



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