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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

२९१. नए साल से


नए साल,
मैंने पलकें बिछा दी हैं 
तुम्हारे स्वागत में,
तैयारी कर ली है जश्न की;
इंतज़ाम कर लिया है 
थोड़ी-सी आतिशबाजी,
थोड़े से संगीत का;
फैसला कर लिया है 
कि दिसंबर की सर्दी में
आधी रात तक जागकर
तुम्हारे आने का इंतज़ार करूंगा ;
ख़ुशी से चीखूंगा,
नाचूँगा, सीटियाँ बजाऊँगा,
जैसे ही तुम पहुँचोगे.

नए साल,
मान रखना मेरे स्वागत का,
टूटने न देना मेरी उम्मीदों को,
मेरे साथ रहना, मेरे बनकर,
गुज़र जाने देना मुझे ख़ुद में से,
जैसे पानी में से मछली.

कोई लम्बा कमिटमेंट नहीं,
बस तीन सौ पैंसठ दिन की बात है.

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 31 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुंदर रचना ओंकार जी।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. उत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....

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  4. बहुत खूब, नव वर्ष मंगलमय हो

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  5. सुंदर प्रस्तुति, ओमकार जी।

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