मैंने सुना है कि मेंढक लुप्त हो रहे हैं, फिर चुनाव के दौरान इतने कहाँ से निकल आते हैं? बिना बारिश के भी इनकी टर्र-टर्र क्यों सुनाई पड़ती है? मुझे नहीं लगता कि मेंढक लुप्त हो रहे हैं, ज़रूर कुछ भ्रम हुआ है, मुझे तो लगता है कि इनकी बहुतायत हो गई है, बस इनके निकलने और टरटराने का मौसम बदल गया है.
देश आम सा नेता गुठली फेके उपत्यका में । ==== पार्टी बदलना ..... दल बदलना ...... राजनीति का काला पहलू ...... चुनाव का मखौल मत का अपमान जनता के साथ विश्वासघात सज़ा कोई नहीं ===== स्वार्थ विकट यात्री हो बेटिकट मेवा टिकट । ==
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंशायद मौसम का तकाजा है.
ये मेंढक कूएं के नहीं है...दुनिया देखी है इन्होने और लोगों को कूएं में धकेलने आये हैं ये !!
जवाब देंहटाएं:-/
सादर
अनु
चुनाव आते ही ये मेढक पैदा हो जाते है ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - प्यार में दर्द है.
:)
जवाब देंहटाएंदेश आम सा
जवाब देंहटाएंनेता गुठली फेके
उपत्यका में ।
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पार्टी बदलना ..... दल बदलना ...... राजनीति का काला पहलू ......
चुनाव का मखौल
मत का अपमान
जनता के साथ विश्वासघात
सज़ा कोई नहीं
=====
स्वार्थ विकट
यात्री हो बेटिकट
मेवा टिकट ।
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करार व्यंग ... यस मेंढक सब को लुप्त कर देंगे ...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग...चुनाव के मौसम के बाद सब गायब हो जायेंगे...लाज़वाब...
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