(पैंगोंग- लेह से लगभग १५० किलोमीटर दूर स्थित खूबसूरत झील. करीब १३८ किलोमीटर लंबी इस झील का ४०% भारत में और शेष चीन में है.) 
 
 
पैंगोंग, तुम्हारा पानी इतना स्थिर क्यों है? 
इतना सहमा-सा, इतना उदास क्यों है? 
क्या इसका मन नहीं करता  
कि कभी चीन की ओर दौड़ जाय 
और वहाँ के पानी से गले मिल ले, 
ज़रा वहाँ के नज़ारे भी देख ले. 
  
पासपोर्ट-वीज़ा नहीं तो क्या 
चोरी-छिपे ही चला जाय, 
सतह के नीचे-नीचे, 
सैनिकों की निगाहों से बचते-बचाते. 
  
और तुम, चिड़िया, 
पैंगोंग पर जब उड़ान भरो, 
तो ध्यान रखना  
कि सीमा-पार न चली जाओ, 
किसी सैनिक की गोली का शिकार न बन जाओ. 
  
सच है कि यह विशाल झील एक है, 
पर चिड़िया, धोखा मत खाना, 
यह थोड़ी भारत और थोड़ी चीन में है. 
उड़ान भरते समय याद रखना  
कि भारत की चिड़ियों का चीन जाना  
और चीन की चिड़ियों का भारत आना  
सख्त मना है. 
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उड़ान भरते समय याद रखना
जवाब देंहटाएंकि भारत की चिड़ियों का चीन जाना
और चीन की चिड़ियों का भारत आना
सख्त मना है.
लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST : तस्वीर नही बदली
बहुत ही भावयुक्त सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .... चिड़िया को कहाँ मालूम कि सरहद किसे कहते हैं ?
जवाब देंहटाएंवस्तुस्थिति को समझा गयी कविता सहजता से सफलतापूर्वक!
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल शनिवार (10-08-2013) को “आज कल बिस्तर पे हैं” (शनिवारीय चर्चा मंच-अंकः1333) पर भी होगा!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उड़ान भरते समय याद रखना
जवाब देंहटाएंकि भारत की चिड़ियों का चीन जाना
और चीन की चिड़ियों का भारत आना
सख्त मना है.
संवेदनशील और सुंदर रचना ।
बहुत ही संवेदनशील रचना है ... सीमा के दुख दर्द को ... बाशिंदों के दुख दर्द को समेटने का प्रयास ... इंसानी जिद्द का परिणाम मूक निरीह निर्जीव को कैसे झेलना पड़ता है ...
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