दूर अँधेरे में चमकती एक बत्ती,
पहले एक छोटे-से बिन्दु की तरह,
फिर धीरे-धीरे बढ़ती हुई,
पास, और पास आती हुई.
जूतों के तस्मे अब बंधने लगे हैं,
खड़े हो गए हैं सब अपनी जगह,
उठा लिए हैं बक्से हाथों में,
थाम ली हैं बच्चों की उँगलियाँ.
अब अँधेरा दूर होगा,
मंज़िल की ओर कूच करेंगे सब,
बस कुछ ही देर की बात है,
रेलगाड़ी प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचनेवाली है.
पहले एक छोटे-से बिन्दु की तरह,
फिर धीरे-धीरे बढ़ती हुई,
पास, और पास आती हुई.
जूतों के तस्मे अब बंधने लगे हैं,
खड़े हो गए हैं सब अपनी जगह,
उठा लिए हैं बक्से हाथों में,
थाम ली हैं बच्चों की उँगलियाँ.
अब अँधेरा दूर होगा,
मंज़िल की ओर कूच करेंगे सब,
बस कुछ ही देर की बात है,
रेलगाड़ी प्लेटफ़ॉर्म पर पहुँचनेवाली है.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 30 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !कमाल की पंक्तियाँ आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....।।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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