पिता के जाने के बाद
मैंने जाना
कि बहुत गहरे धंसे हुए हैं वे
मेरे अंदर,
फैलती ही जा रही हैं
उनकी जड़ें,
मरे नहीं हैं पिता,
पहले से ज़्यादा ज़िंदा हैं वे
मरने के बाद मुझमें.
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पिता,
बहुत दिन हुए
तुम्हारी आवाज़ सुने,
कभी मैं भी आऊंगा,
लेटूँगा तुम्हारी बग़ल में,
तुम कुछ कह पाओगे न,
मैं कुछ सुन पाऊंगा न ?