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शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

२९६.अँधेरे में

ऐसा क्यों होता है 
कि कुछ लोगों को हमेशा 
अँधेरे में रहना पड़ता है 
और कुछ के जीवन से 
उजाला दूर ही नहीं होता?

क्या ऐसा संभव नहीं 
कि सब हमेशा उजाले में रहें?
अगर नहीं, तो कम-से-कम इतना हो जाय 
कि हरेक के हिस्से में 
समान अँधेरा और उजाला हो.

अगर यह भी संभव नहीं,
तो आओ, ख़ुदा से कहें 
कि अपना उजाला वापस ले ले 
और सब को एक साथ,एक तरह से 
अँधेरे में ही रहने दे.

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