नए साल,
मैंने पलकें बिछा दी हैं
तुम्हारे स्वागत में,
तैयारी कर ली है जश्न की;
इंतज़ाम कर लिया है
थोड़ी-सी आतिशबाजी,
थोड़े से संगीत का;
फैसला कर लिया है
कि दिसंबर की सर्दी में
आधी रात तक जागकर
तुम्हारे आने का इंतज़ार करूंगा ;
ख़ुशी से चीखूंगा,
नाचूँगा, सीटियाँ बजाऊँगा,
जैसे ही तुम पहुँचोगे.
नए साल,
मान रखना मेरे स्वागत का,
टूटने न देना मेरी उम्मीदों को,
मेरे साथ रहना, मेरे बनकर,
गुज़र जाने देना मुझे ख़ुद में से,
जैसे पानी में से मछली.
कोई लम्बा कमिटमेंट नहीं,
बस तीन सौ पैंसठ दिन की बात है.
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 31 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ओंकार जी।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
वाह!!सुंदर ।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....
Nice line
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, नव वर्ष मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, ओमकार जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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