अभी-अभी सुनी है मैंने
तुम्हारे गेहुएं पांवों में बंधी
पायल की आखिरी खनक.
काश कि मैं जवान होता,
कान थोड़े ठीक होते,
तो कुछ देर तक सुन पाता
तुम्हारी पायल की खनक.
मैंने महसूस किया है फ़र्क
तुम्हारे आनेवाले पांवों और
लौटनेवाले पांवों में बंधी
पायल की खनक में.
लौटनेवाले पांवों में बंधी
पायल की खनक ऐसी,
जैसे कोई बीमार
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा
अंतिम सांसें ले रहा हो.
न जाने कब टूट जाय
उसकी धीमी पड़ती सांस,
न जाने कब सुन जाय
पायल की आखिरी खनक.
तुम्हारे गेहुएं पांवों में बंधी
पायल की आखिरी खनक.
काश कि मैं जवान होता,
कान थोड़े ठीक होते,
तो कुछ देर तक सुन पाता
तुम्हारी पायल की खनक.
मैंने महसूस किया है फ़र्क
तुम्हारे आनेवाले पांवों और
लौटनेवाले पांवों में बंधी
पायल की खनक में.
लौटनेवाले पांवों में बंधी
पायल की खनक ऐसी,
जैसे कोई बीमार
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा
अंतिम सांसें ले रहा हो.
न जाने कब टूट जाय
उसकी धीमी पड़ती सांस,
न जाने कब सुन जाय
पायल की आखिरी खनक.
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-12-2017) को "दिसम्बर लाता है नया साल" (चर्चा अंक-2806) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय/आदरणीया आपको अवगत कराते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि आपकी रचना हिंदी ब्लॉग जगत के 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक एवं 'पाठकों की पसंद' हेतु 'पांच लिंकों का आनंद' में सोमवार ०४ दिसंबर २०१७ की प्रस्तुति के लिए चयनित हुई है। अतः आपसे अनुरोध है ब्लॉग पर अवश्य पधारें। .................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंआदरणीय /आदरणीया आपको अवगत कराते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि हिंदी ब्लॉग जगत के 'सशक्त रचनाकार' विशेषांक एवं 'पाठकों की पसंद' हेतु 'पांच लिंकों का आनंद' में सोमवार ०४ दिसंबर २०१७ की प्रस्तुति में आप सभी आमंत्रित हैं । अतः आपसे अनुरोध है ब्लॉग पर अवश्य पधारें। .................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
बहुत खूब ... पायल भी जिंदगी का फलसफा है ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंएक रहस्यमयी सी रचना है....कई बार पढ़ने पर भी पर्तें और गहराती चली जाती हैं....
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
नि:शब्द हूँ इस रचना को पढ़कर. कितना कुछ कह जाती है पायल की खनक, चाहें आने वाले पांवों की हो या लौटने वाले पावों की.
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
सादर
आदरणीय ओंकार जी ----- बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना है आपकी |
जवाब देंहटाएंन जाने कब टूट जाय
उसकी धीमी पड़ती सांस,
न जाने कब सुन जाय
पायल की आखिरी खनक.
जीवन में लौटते कदमों की आहट यद्यपि कोई भांप नहीं पाया है -- तब भी इसकी कल्पना मात्र बहुत मर्मान्तक है |
सादर शुभकामना ---------
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
सादर