मैंने छोड़ दिया है अब
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी.
कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने,
यहाँ तक कि कुर्सी-मेज़ भी
हटा दी है अपने कमरे से.
मन में भावनाओं का
ज्वार उमड़ रहा हो,
शब्द अपने-आप
लयबद्ध होकर आ रहे हों,
तो भी नहीं लिखता मैं
कोई कविता.
मैंने तय कर लिया है
कि मैं तब तक नहीं लिखूंगा
कोई नई कविता,
जब तक कि उसमें लौट न आए
कोई आम आदमी.
लिखना बन्द ना करें। आम आदमी को पुकारती कविता लिखें। सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति आदरणीय ओंकार जी। सादर आग्रह के साथ निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों -
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का लिंक www.rakeshkirachanay.blogspot.com
आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
जवाब देंहटाएंहमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर