फुटपाथ पर सोनेवालों,
तुम मकानों में क्यों नहीं सोते?
मकान नहीं, तो झुग्गियों में,
वह भी नहीं, तो पेड़ों पर,
पानी में, हवा में - कहीं भी.
फुटपाथ पर सोनेवालों,
तुम सोते ही क्यों हो?
जब सोने की जगह नहीं,
तुम होते ही क्यों हो?
क्या तुम नहीं जानते
कि फुटपाथ पर सोना ख़तरनाक है,
कानूनन अपराध है?
नहीं सोना कानूनन अपराध नहीं है,
इसमें ख़तरा भी कम है,
इसलिए अपने भले के लिए
फुटपाथ पर सोनेवालों,
सोना बंद करो.
तुम मकानों में क्यों नहीं सोते?
मकान नहीं, तो झुग्गियों में,
वह भी नहीं, तो पेड़ों पर,
पानी में, हवा में - कहीं भी.
फुटपाथ पर सोनेवालों,
तुम सोते ही क्यों हो?
जब सोने की जगह नहीं,
तुम होते ही क्यों हो?
क्या तुम नहीं जानते
कि फुटपाथ पर सोना ख़तरनाक है,
कानूनन अपराध है?
नहीं सोना कानूनन अपराध नहीं है,
इसमें ख़तरा भी कम है,
इसलिए अपने भले के लिए
फुटपाथ पर सोनेवालों,
सोना बंद करो.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-01-2018) को "हाथों में पिस्तौल" (चर्चा अंक-2841) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अच्छा तंज़ है..फुटपाथ पर सोनेवालों,
जवाब देंहटाएंतुम सोते ही क्यों हो?...आंखें खोल देने वाला