जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
तुमको भी दुःख पहुंचाता है,
मुझे भी,
यह बात तुम भी जानते हो,
मैं भी,
पर शायद तुम यह नहीं जानते
कि जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
उससे तुम्हें जितनी तकलीफ़ है,
उससे ज़्यादा मुझे है.
काश कि काँटा मेरे पांव में चुभा होता,
काश कि मुझे तकलीफ़ कम होती.
तुमको भी दुःख पहुंचाता है,
मुझे भी,
यह बात तुम भी जानते हो,
मैं भी,
पर शायद तुम यह नहीं जानते
कि जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
उससे तुम्हें जितनी तकलीफ़ है,
उससे ज़्यादा मुझे है.
काश कि काँटा मेरे पांव में चुभा होता,
काश कि मुझे तकलीफ़ कम होती.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 06 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा .... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... वहां उनकी अपनी दोनों तकलीफों का दर्द जो है .. इसलिए ज्यादा है यहाँ
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। किसी के दर्द को महसुस करना बहुत बडी बात है।
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