एक बार फिर आ गया नया साल,
एक बार फिर से हम नाचे,
फिर से मनाईं खुशियाँ,
फिर से की आतिशबाजी,
फिर से किए संकल्प.
नए साल के संकल्प
पुराने थे, बासी थे,
हमने पहले भी किए थे,
पिछले साल, हर साल,
जो पूरे नहीं हुए,
हमने पूरे किए ही नहीं,
पूरा करने की कोशिश ही नहीं की.
मैं सोचता हूँ
कि कैसे हो जाते हैं हम
नए साल की शुरुआत में
इतने बेशर्म,
कैसे विदा कर देते हैं
पुराने साल को
इतना खुश होकर,
जैसे कि हमने
पूरा उपयोग किया हो उसका,
पूरा न्याय किया हो उसके साथ.
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं !
सुन्दर व सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो।
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सुन्दर व सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो।
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
बहुत ख़ूब। नव वर्ष की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं