top hindi blogs

शनिवार, 20 जुलाई 2013

९०. गृहिणी और भाजी

गृहिणी के बटुए में रखे हैं 
कुछ फटे-पुराने नोट और चिल्लर,
बाज़ार आई है गृहिणी 
भाजी खरीदनी है उसे.

पूरा बाज़ार घूमेगी गृहिणी,
दाम पूछेगी हर भाजीवाले से,
मिन्नतें करेगी,मोलभाव करेगी,
ज़रूरत हुई तो तकरार करेगी,झगड़ेगी.

मज़बूर है गृहिणी,
सबकी सेहत का ख्याल है उसे,
हरी-ताज़ी सब्जियां खरीदनी हैं उसे,
पर थोड़े पैसे भी बचाने हैं 
ताकि शाम को उसका आदमी पी सके 
ठर्रे की एक बोतल.

4 टिप्‍पणियां:

  1. शाम को पी सके ठर्रे की एक बोतल ...
    कितनों का सच है ये ... हालांकि वो नहीं चाहती उसके लिए पैसे बचाना ... गहरी रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  2. एक ग्रहणी ही होती है जो सबको खुश रखना जानती है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद प्रभावी रचना , प्रभावशाली कलम को बधाई !

    जवाब देंहटाएं