चलो, तुमसे कह ही देता हूँ
कि मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ,
जैसे कभी साफ़-साफ़ कहा था
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
पर तुम परेशान मत होना,
सिर्फ़ कह देने से कुछ नहीं होता,
हो सकता है, कल मुझे लगे,
मैं फिर से तुम्हें कह दूं
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
दरअसल हम अकसर वही कहते हैं
जो हमारे मन में होता है
और जो मन में होता है,
हमेशा एक-सा कहाँ होता है?
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है
कि ज़बान जो कहती है
या उसे जो कहना पड़ता है,
वह उससे बहुत अलग होता है
जो हमारे मन में होता है.
हो सकता है, जब मैंने तुमसे कहा था
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
तो मेरे मन में तुम्हारे लिए नफ़रत हो
और आज जब मैं कह रहा हूँ
कि मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ,
तो मेरे मन में तुम्हारे लिए
बेपनाह प्यार भरा हो.
कि मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ,
जैसे कभी साफ़-साफ़ कहा था
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
पर तुम परेशान मत होना,
सिर्फ़ कह देने से कुछ नहीं होता,
हो सकता है, कल मुझे लगे,
मैं फिर से तुम्हें कह दूं
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
दरअसल हम अकसर वही कहते हैं
जो हमारे मन में होता है
और जो मन में होता है,
हमेशा एक-सा कहाँ होता है?
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है
कि ज़बान जो कहती है
या उसे जो कहना पड़ता है,
वह उससे बहुत अलग होता है
जो हमारे मन में होता है.
हो सकता है, जब मैंने तुमसे कहा था
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
तो मेरे मन में तुम्हारे लिए नफ़रत हो
और आज जब मैं कह रहा हूँ
कि मैं तुमसे नफ़रत करता हूँ,
तो मेरे मन में तुम्हारे लिए
बेपनाह प्यार भरा हो.
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है
जवाब देंहटाएंकि ज़बान जो कहती है
या उसे जो कहना पड़ता है,
वह उससे बहुत अलग होता है
जो हमारे मन में होता है.
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,
RECENT POST: गुजारिश,
बहुत सुंदर , आभार
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
बहुत खुबसूरत भावो की अभिवय्क्ति…।
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल और सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
मन की द्वंदांतमकता को बखूबी लिखा है
जवाब देंहटाएंऔर जो मन में होता है,
जवाब देंहटाएंहमेशा एक-सा कहाँ होता है?
सच है!
मन को जानना आसां नहीं ... शायद तभी ऐसा कहते हैं ..
जवाब देंहटाएंपर अपने आप से ऐसा कहना क्या संभव है ...
कभी-कभी तो ऐसा भी होता है
जवाब देंहटाएंकि ज़बान जो कहती है
या उसे जो कहना पड़ता है,
वह उससे बहुत अलग होता है
जो हमारे मन में होता है.
...बहुत खूब! अंतर्द्वंद की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...