बहुत अजीब लगता है,
जब कोई कहता है
कि वह ज़बान का कड़वा,
पर दिल का बहुत साफ़ है.
क्या महत्व है इसका
कि कोई दिल का कैसा है?
क्या मतलब हो सकता है किसी को
किसी अजनबी के दिल से?
यह कड़वी ज़बान ही तो है,
जो सीधे दिल पर चोट करती है.
अच्छा तो यही है
कि ज़बान मीठी हो,
जो तुरंत असर करे,
फ़ौरन खुशी पंहुचाए,
अंदर से कोई बुरा हो तो हो.
दिल का कोई कैसा भी हो,
जो न दिखता है,
न महसूस होता है,
वह कैसा भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है?
जब कोई कहता है
कि वह ज़बान का कड़वा,
पर दिल का बहुत साफ़ है.
क्या महत्व है इसका
कि कोई दिल का कैसा है?
क्या मतलब हो सकता है किसी को
किसी अजनबी के दिल से?
यह कड़वी ज़बान ही तो है,
जो सीधे दिल पर चोट करती है.
अच्छा तो यही है
कि ज़बान मीठी हो,
जो तुरंत असर करे,
फ़ौरन खुशी पंहुचाए,
अंदर से कोई बुरा हो तो हो.
दिल का कोई कैसा भी हो,
जो न दिखता है,
न महसूस होता है,
वह कैसा भी हो,
क्या फ़र्क पड़ता है?
मीठी वाणी ही सब का दिल जीत सकती है...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंऎसी बानी बोलिए ,मन का आपा खोय।
जवाब देंहटाएंऔरन को शीतल करे,आपहु शीतल होय।
वाणी से ही समस्त कार्य साधे जाते हैं व वाणी से ही बिग़ड जाते हैं। मीठी वाणी जहाँ व्यक्ति को सम्मान का पात्र बनाती है वहीं अप्रिय वाणी व्यक्ति को नीचा देखने पर विवश कर ...
RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
मुखौटे पहचानना आवश्यक है ..
जवाब देंहटाएंस्पेम देखे,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (01.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंमीठी वाणी दिल तो जीतती है लेकिन जो दिल का खराब होता है वो पीठ पीछे वार करता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आपने , यहाँ भी पधारे ,
जवाब देंहटाएंhttp://shoryamalik.blogspot.in/
मीठी वाणी के साथ दिल भी अच्छा हो तो सोने पे सुहागा ...
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति ...
... अगर दिल में कड़वाहट भरी है तो चाहे कितना भी मीठा क्यो न बोलो.!.सच्चाई बाहर झलक ही जाती है ..और यदि मन में अच्छाई की भावना है तो वह भी छुप नहीं सकती...!... स्वभाविक प्रवृति छ्पाए नहीं छुप सकती है..
जवाब देंहटाएंआपका कहना भी बिल्कुल सही है .. मीठी , मधुर वाणी का भी अपना अलग होता है
जवाब देंहटाएंकहने और होने में फर्क होता है। यह कोई दूसरा कहे, 'फलाँ आदमी की जुबान भले कड़वी हो लेकिन वह दिल का साफ है, उसकी बातों का बुरा मन मानिए' तो अच्छी बात है। जो खुद ऐसा कहता है वह मुखौटा ओढ़े हो सकता है। दिल, जुबान दोनो मीठे हों तो बहुत ही अच्छा।
जवाब देंहटाएंWaah., jabardast :)
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