उसे फल खाना पसंद है,
पर वही जिन्हें खाना आसान हो,
जिनके लिए न चम्मच चाहिए,न छूरी,
न ही जिनको खाने में हाथ गंदे होते हों.
उसे केले जैसे फल पसंद हैं
या फिर सेब,अंगूर जैसे,
संतरे,पपीते जैसे नहीं,
क्योंकि वह नफ़ासत-पसंद है.
जो फल वह खाना चाहता है,
उससे कोई प्रतिरोध उसे मंज़ूर नहीं,
वह कोई ज़द्दोज़हद नहीं चाहता,
वह बस पूरा समर्पण चाहता है.
पर वही जिन्हें खाना आसान हो,
जिनके लिए न चम्मच चाहिए,न छूरी,
न ही जिनको खाने में हाथ गंदे होते हों.
उसे केले जैसे फल पसंद हैं
या फिर सेब,अंगूर जैसे,
संतरे,पपीते जैसे नहीं,
क्योंकि वह नफ़ासत-पसंद है.
जो फल वह खाना चाहता है,
उससे कोई प्रतिरोध उसे मंज़ूर नहीं,
वह कोई ज़द्दोज़हद नहीं चाहता,
वह बस पूरा समर्पण चाहता है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंशानदार,बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
फल के माध्यम से इन्सान की प्रवृति बयाँ कर दी ...
जवाब देंहटाएंप्रभावी लिखा है ...
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
पूरा समर्पण चाहता है ..... फल से यह भी पता चल जाता है ॥कमाल है ।
जवाब देंहटाएंमी लार्ड ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !