कई दिनों की बारिश के बाद
आज सुबह से धूप खिली है,
कलूटे बादल जा छुपे हैं कहीं,
आसमान ने थोड़ी सांस ली है.
पत्तियां सुखा रहीं हैं भीगे बदन,
पंखुड़ियों के चेहरों पर चमक छाई है,
पंछी निकल पड़े हैं घोंसलों से,
चूज़ों को भूख लग आई है.
खुल गए हैं हाट-बाज़ार, रास्ते,
बोझिल क़दमों में फिर जान आई है,
थोड़े दिन चुप रहना बारिश,
बड़ी मुश्किल से ज़िंदगी मुस्कराई है.
आज सुबह से धूप खिली है,
कलूटे बादल जा छुपे हैं कहीं,
आसमान ने थोड़ी सांस ली है.
पत्तियां सुखा रहीं हैं भीगे बदन,
पंखुड़ियों के चेहरों पर चमक छाई है,
पंछी निकल पड़े हैं घोंसलों से,
चूज़ों को भूख लग आई है.
खुल गए हैं हाट-बाज़ार, रास्ते,
बोझिल क़दमों में फिर जान आई है,
थोड़े दिन चुप रहना बारिश,
बड़ी मुश्किल से ज़िंदगी मुस्कराई है.
:-)
जवाब देंहटाएंmuskuraati rahe zindgi....
sundar bhav..
saadar
anu
बारिश के बाद का सजीव वर्णन
जवाब देंहटाएंवाह .. क्या बात है ...
जवाब देंहटाएंथोड़े दिन चुप रहना ... अब तो सच में चुप रहना चाहिए उसे ... कुछ हफ़्तों के लिए कम से कम ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahut sundar chitran...
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