मेले में बहुत कुछ होता है,
तरह-तरह के नज़ारे -
चूड़ियाँ,सलवार-दुपट्टे,
सुन्दर-सुन्दर खिलौने,
झूलों पर झूलते लोग,
जलेबियां और समोसे,
हँसते-खिलखिलाते चेहरे,
मायूस, उदास चेहरे,
ठग, चोर-उचक्के,
मासूम-से बच्चे.
कविताएँ उगाने के लिए
मेले की मिट्टी माफ़िक होती है,
पर मेले की भीड़ में
कविताएँ गुम भी हो जाती हैं.
मैं हर साल मेले में जाता हूँ,
क्योंकि पिछले साल खोई हुई कविताएँ
कभी-कभी अगले साल के मेले में मिल जाती हैं.
तरह-तरह के नज़ारे -
चूड़ियाँ,सलवार-दुपट्टे,
सुन्दर-सुन्दर खिलौने,
झूलों पर झूलते लोग,
जलेबियां और समोसे,
हँसते-खिलखिलाते चेहरे,
मायूस, उदास चेहरे,
ठग, चोर-उचक्के,
मासूम-से बच्चे.
कविताएँ उगाने के लिए
मेले की मिट्टी माफ़िक होती है,
पर मेले की भीड़ में
कविताएँ गुम भी हो जाती हैं.
मैं हर साल मेले में जाता हूँ,
क्योंकि पिछले साल खोई हुई कविताएँ
कभी-कभी अगले साल के मेले में मिल जाती हैं.
मेले में कविताओं का खोना ...एक अलग ही सोच है हाँ कवितायें मिल ज़रूर जाती हैं :)
जवाब देंहटाएंमेले में खोया कहीं वापस मिला है कभी???
जवाब देंहटाएंजो कविता मिली वो वहीं बस गयी होगी शायद....
अनु
बहुत खूब,पर मेले में कविताओं का मिलना ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी पहचान
ख्याल अच्छा है, लेकिन खोया हुआ इतनी आसानी से मिलता कहा है,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... ख्पोई हुई कविताओं का मिलना भी सुखद एहसास रहता अहि ... फिर मेले भी तो ऐसे ही जीवित रहते हैं ..
जवाब देंहटाएंक्योंकि पिछले साल खोई हुई कविताएँ
जवाब देंहटाएंकभी-कभी अगले साल के मेले में मिल जाती हैं.
....लाज़वाब अहसास...
सुंदर प्रस्तुति ।।।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 13 जनवरी 2018 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सही कहा आपने, कविताओं के लिए मेले की मिट्टी माफक रहती है !सुंदर
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