वह बोलती बहुत है,
पर जब बोलती है,
कोई आवाज़ नहीं होती,
उसे नहीं चाहिए
शब्दों का सहारा,
उसकी आँखें ही बहुत हैं
बोलने के लिए.
मुझे डर है कि कभी वह
मुँह से भी बोलने लगे,
तो लोग सुन नहीं पाएंगे.
सुननेवालों को अगर जीना है,
तो बहुत ज़रूरी है
कि वह सिर्फ़ आँखों से बोले,
अपना मुँह बिल्कुल न खोले.
वाह !बेहतरीन सृजन आदरणीय
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंउसे नहीं चाहिए
जवाब देंहटाएंशब्दों का सहारा,
उसकी आँखें ही बहुत हैं
बोलने के लिए.
बहुत सुन्दर सृजन...हृदयस्पर्शी ।
क्या.खूब..बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली चित्र और लेखन..
जवाब देंहटाएंगहरी बात इन शब्दों के द्वारा ...
जवाब देंहटाएंआपकी एक रचना की चर्चा यहाँ पढ़े ब्लॉग पंच
जवाब देंहटाएंवह बोलती बहुत है,
जवाब देंहटाएंपर जब बोलती है,
कोई आवाज़ नहीं होती,
hmmmm..bahut taqleefdeh hoti hain wo aawaazen jo mook ho cheekhti hain... bahut achhi rchnaa
bdhaayi swikaar kren
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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