भगवान,मैं मानता हूँ
कि तुम बहुत बड़े इंजीनियर हो.
तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए,
हर एक दूसरों से अलग,
हर एक का अलग चेहरा-मोहरा,
हर एक की अलग कद-काठी,
हर एक का अलग रंग-रूप.
पर शायद कुछ युद्ध टल जाते,
शायद कुछ भाईचारा बढ़ जाता,
शायद दुनिया कुछ रहने लायक हो जाती,
शायद दुःख कुछ कम हो जाता,
अगर तुम ऐसा नहीं करते.
भगवान, मुझे लगता है
कि तुमने अरबों-खरबों लोग बनाए,
यहाँ तक तो ठीक था,
पर हर एक को अलग बनाकर
तुमने अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल
ज़रूरत से थोड़ा ज़्यादा कर दिया.
भगवान, क्या तुम्हें नहीं लगता
कि जो दुनिया तुमने ख़ुद बनाई,
वह तुम्हारी विलक्षण प्रतिभा की
शिकार हो गई.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-05-2017) को
जवाब देंहटाएं"इनकी किस्मत कौन सँवारे" (चर्चा अंक-2635)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १७०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " अरे दीवानों - मुझे पहचानो : १७०० वीं ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
दिनांक 30/05/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
गहरी सोच ... शायद उसे भी नहि पता था जो वो बना राजाभाई इतना शातिर होगा
जवाब देंहटाएंभगवान, क्या तुम्हें नहीं लगता
जवाब देंहटाएंकि जो दुनिया तुमने ख़ुद बनाई,
वह तुम्हारी विलक्षण प्रतिभा की
शिकार हो गई.
सत्य वचन आदरणीय ,सुन्दर ! आभार ,"एकलव्य"
भगवान को आइना दिखाती रचना गहन चिंतन की ओर हमें मोड़ती है। एक रचना जो हमसे सीधा संवाद स्थापित कर मानवता को प्रधानता देती है। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसच बात है जी | बहुत अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह क्या सुंदर लिखावट है सुंदर मैं अभी इस ब्लॉग को Bookmark कर रहा हूँ ,ताकि आगे भी आपकी कविता पढता रहूँ ,धन्यवाद आपका !!
जवाब देंहटाएंAppsguruji (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह) Navin Bhardwaj