बहुत प्यार से बुना है मैंने एक स्वेटर,
बहुत मेहनत लगी है इसमें,
ज़िन्दगी के खूबसूरत लम्हें लगे हैं,
तब जाकर बना है यह स्वेटर.
बिल्कुल फ़िट बैठेगा तुमपर,
बहुत जचोगे इसमें तुम,
बस तुमसे इतनी विनती है
कि इसके फंदे मत देखना,
उन्हें हटाने की कोशिश मत करना.
ऐसा करोगे तो सब खो दोगे,
कुछ भी हासिल नहीं होगा,
सिर्फ़ धागे रह जाएंगे हाथ में,
जिन्हें तुम पहन नहीं पाओगे.
जब बंधन के फंदे लगते हैं,
तभी प्यार का स्वेटर बनता है.
बहुत मेहनत लगी है इसमें,
ज़िन्दगी के खूबसूरत लम्हें लगे हैं,
तब जाकर बना है यह स्वेटर.
बिल्कुल फ़िट बैठेगा तुमपर,
बहुत जचोगे इसमें तुम,
बस तुमसे इतनी विनती है
कि इसके फंदे मत देखना,
उन्हें हटाने की कोशिश मत करना.
ऐसा करोगे तो सब खो दोगे,
कुछ भी हासिल नहीं होगा,
सिर्फ़ धागे रह जाएंगे हाथ में,
जिन्हें तुम पहन नहीं पाओगे.
जब बंधन के फंदे लगते हैं,
तभी प्यार का स्वेटर बनता है.
बेहद शानदार और उम्दा प्रस्तुती है।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं यहां भी प्रकाशन के लिए आमत्रित है::::
संपादक / प्रकाशक
AKSHAYA GAURAV Online Hindi Magazine
आपने लिखा...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 04/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 262 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
बहुत खूब ... सच है प्रेम के धागों को ऐसे ही बने रहने देना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति !!
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं