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शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

१९१. बहस के बीच में

ताज़ा ख़बरों का पोस्टमार्टम हो रहा था,
किसी ने कुएं में छलांग लगा दी थी,
फ़सल सूख गई थी उसकी.

पुत गई थी उसके चेहरे पर स्याही,
मनाही के बाद भी जो बोलना चाहता था,
क़त्ल हो गया था किसी का अपने ही घर में,
खा लिया था उसने वह जो वर्जित था,
फेंक दी थी आग किसी ने खिड़की से,
ज़िन्दा जला दिया था सोते बच्चों को,
किसी भाई ने दबा दिया था बहन का गला,
ज़िद थी उसकी कि शादी मर्ज़ी से करेगी,
एक छोटी-सी बच्ची का अपनों ने ही 
कर दिया था बलात्कार.

गर्मागर्म बहस के बीच एक बच्चा उठा,
बोला,' बंद करो बहस, मेरी ओर देखो,
मैं अभी अनगढ़, कच्ची मिट्टी सा,
बोलो, मुझे कैसा बनाओगे, कैसे बनाओगे?'

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2015) को "बच्चे सभ्यता के शिक्षक होते हैं" (चर्चा अंक-2161)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. बहुत खूब आपका ब्लॉग लिंक फेसबुक प्रतिभामंच में शेयर की जा रहा https://www.facebook.com/prtibhamanch?ref=hl

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  3. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 15/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की जा रही है...
    इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...


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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बाल दिवस, आतंकी हमला और ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. बहुत सटीक प्रश्न...कैसा भविष्य सोंपेंगे हम अगली पीढी को...बहुत प्रभावी प्रस्तुति...

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