top hindi blogs

शनिवार, 28 नवंबर 2015

१९३. कोशिश



यह सच है 
कि धरती और आसमान 
एक दूसरे से मिल नहीं सकते,
पर मिलने की 
कोशिश तो कर सकते हैं.

हवाएं धरती से धूल उड़ाती हैं,
आकाश की ओर ले जाती हैं,
फिर थककर बैठ जाती हैं.

सूरज अपनी किरणों से 
बिखरा पानी सोखता है,
जो बादल बन जाता है,
बरस जाता है,
मिट्टी में मिल जाता है. 

यह सब बेकार नहीं है,
धरती और आकाश,
जो कभी मिल नहीं सकते,
उनकी मिलने की कोशिश है.

हो सकता है 
कि कोशिश से मंजिल न मिले,
पर कुछ न कुछ तो मिल ही जाता है,
क्योंकि कोशिश कभी बेकार नहीं होती.

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-11-2015) को "मैला हुआ है आवरण" (चर्चा-अंक 2175) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर कविता आपकी।
    कोशिशें कभी बेकार नही होतीं,
    कोशिश करने वालों की हार नही होती।

    जवाब देंहटाएं
  3. बिलकुल सच कहा है. कोशिश करना अपने आप में एक उपलब्धि है...बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

    जवाब देंहटाएं
  4. धरती और आकाश प्रत्यक्ष रूप से न मिलें अप्रत्यक्ष रूप से आपकी कविता में मिल रहे हैं ... तो सच ही कोशिशें बेकार नहीं जातीं . .... गहन विचार .

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर और भाव विभोर कर देने वाली पंक्तियाँ लिखी है आपने.
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर
    बात सब आपकी सही है ये, थोड़ा करने से सब नहीं होता
    तो भी इतना तो मैं कहूँगा ही कुछ न करने से कुछ नहीं होता

    जवाब देंहटाएं