पिछले साल होली में
तुमने जो रंग डाला था,
वह अभी तक नहीं छूटा,
बल्कि और गहरा गया है.
तुम्हारी पिचकारी में क्या जादू था
कि मैं आज तक भीगा हुआ हूँ,
तुम्हारे हाथों से बनी गुझिया की मिठास
अब भी मेरे मुंह में कायम है.
रंग-सने तुम्हारे हाथों की छुअन
मेरे गालों पर अब भी ताज़ा है,
अब भी न जाने क्यों मेरे बदन में
एक झुरझुरी-सी महसूस होती है.
साल भर बीत गया,
तुम तो भूल भी गई होगी
पिछले साल की होली,
पर मुझे वह हर पल याद है.
मुझे इंतज़ार है
कि तुम फिर से दोहरा दो
पिछले साल की होली,
मुझे फिर से जीनी है इस बार
वही पुरानी होली.
तुमने जो रंग डाला था,
वह अभी तक नहीं छूटा,
बल्कि और गहरा गया है.
तुम्हारी पिचकारी में क्या जादू था
कि मैं आज तक भीगा हुआ हूँ,
तुम्हारे हाथों से बनी गुझिया की मिठास
अब भी मेरे मुंह में कायम है.
रंग-सने तुम्हारे हाथों की छुअन
मेरे गालों पर अब भी ताज़ा है,
अब भी न जाने क्यों मेरे बदन में
एक झुरझुरी-सी महसूस होती है.
साल भर बीत गया,
तुम तो भूल भी गई होगी
पिछले साल की होली,
पर मुझे वह हर पल याद है.
मुझे इंतज़ार है
कि तुम फिर से दोहरा दो
पिछले साल की होली,
मुझे फिर से जीनी है इस बार
वही पुरानी होली.
प्रेम के रंग में रची रचना ..सुन्दर और भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंजब प्रेम का पक्का रंग लग जाए तो उसकी आदत हो जाती है ... फिर उसी रंग की चाहत हिलोरे लेती है ...
जवाब देंहटाएंकोमल भाव...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावों से सजी रचना।
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