तुम कभी अकेले नहीं हो,
अगर अपने साथ तुम खुद हो.
सभी तुम्हारा साथ छोड़ जांय,
तो भी डरने की कोई बात नहीं,
न ही मुंह छिपाने की कोई बात है,
न ही इसमें कहीं कोई हार है.
अगर ऐसा हो जाय कि सभी
एक-एक कर तुमसे अलग हो जांय,
तो अपने से थोड़ा दूर जाना,
देखना कि क्या तुम अपने साथ हो.
अगर हाँ, तो फिर तुम अकेले नहीं,
अगर ना,तो खुद को ऐसा बदलना
कि तुम खुद अपने साथ हो जाओ,
देखना, वे लोग भी साथ आ जाएँगे,
जो एक-एक कर तुमसे दूर हुए थे.
अगर कोई साथ न आए
तो भी कोई परवाह नहीं,
अगर तुम अपने साथ हो,
तो फिर तुम अकेले कहाँ हो?
अगर अपने साथ तुम खुद हो.
सभी तुम्हारा साथ छोड़ जांय,
तो भी डरने की कोई बात नहीं,
न ही मुंह छिपाने की कोई बात है,
न ही इसमें कहीं कोई हार है.
अगर ऐसा हो जाय कि सभी
एक-एक कर तुमसे अलग हो जांय,
तो अपने से थोड़ा दूर जाना,
देखना कि क्या तुम अपने साथ हो.
अगर हाँ, तो फिर तुम अकेले नहीं,
अगर ना,तो खुद को ऐसा बदलना
कि तुम खुद अपने साथ हो जाओ,
देखना, वे लोग भी साथ आ जाएँगे,
जो एक-एक कर तुमसे दूर हुए थे.
अगर कोई साथ न आए
तो भी कोई परवाह नहीं,
अगर तुम अपने साथ हो,
तो फिर तुम अकेले कहाँ हो?
बहुत उम्दा भावअभिव्यक्ति सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : बस्तर-बाला,,,
सच है...
जवाब देंहटाएंआत्मबल बना रहे...
खुद से अच्छा, भला किसका साथ होगा...
गहन भाव.
सादर
अनु
अगर कोई साथ न आए
जवाब देंहटाएंतो भी कोई परवाह नहीं,
अगर तुम अपने साथ हो,
तो फिर तुम अकेले कहाँ हो?
बहुत ही बढिया ...
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंअगर कोई साथ न आए
जवाब देंहटाएंतो भी कोई परवाह नहीं,
अगर तुम अपने साथ हो,
तो फिर तुम अकेले कहाँ हो?
...बहुत खूब! एकला चलो रे...
तुम कभी अकेले नहीं हो,
जवाब देंहटाएंअगर अपने साथ तुम खुद हो... बहुत सही,बड़ी बात है
अगर कोई साथ न आए
जवाब देंहटाएंतो भी कोई परवाह नहीं,
अगर तुम अपने साथ हो,
तो फिर तुम अकेले कहाँ हो? sahi bat....